गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर
आधुनिक आधार स्तम्भ
श्री पं0 हरवंश सिंह ‘वत्स’
गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के प्रधान पद पर पूर्व में प्रतिष्ठत दानवीर श्री पं0 हरवंश सिंह ‘वत्स’ एक ऐसे दान्यील और ज्ञानशील व्यक्त्वि हैं जिस पर गुरुकुल -परिवार को हर्षानुभूति ही नहीं, अपितु गौरवानुभूति भी होती है। ऐसे दानी, मानी, ज्ञानी, पुण्य पुरुष इस संसार में अत्यन्त दुर्लभ हैं, जो सदैव दूसरों के दुःखो का हरण कर सुखों को प्राप्त कराते हैं। श्री पं0 हरवंश सिंह ‘वत्स’ ऐसे ही परोपकारी व्यक्ति हैं।
इन परोपकारी महापुरुड्ढ का जन्म ग्राम समालका दिल्ली में पिता श्री पं0 भगवती सिंह ‘वत्स’ के घर श्रीमती मुनिया देवी के आंगन में से हुआ। माता-पिता के संस्कार ही बालक को विरासत में प्राप्त हुए और आगे चलकर यह एक धार्मिक प्रवृत्ति के महापुरुष बने। इसी प्रवृत्ति ने ”कर भला हो भला“ जैसी भव्य भावना पूर्णरूपेण इनके मन-मानस में जागृत की।
आपने अपने सात्त्विक दान से महाविद्यालय के जीर्ण शीर्ण भवनों का संरक्षण ही नहीं किया, अपतिु कृषिभूमि हेतू एक टैक्टर का भी दान किया। आपने गुरुकुल परिसर में गोशाला, भोजन्याला का जीर्णोद्धार अपने सात्त्विक दान से कराया। इसी के साथ दर्शनानन्द घाट का भी पुननिर्माण सन् 2003 ई0 में, ”हरिभजन“ नामक अतिथिशाला सन् 2000 ई0 में तथा अपनी सहधर्मिणी श्रीमती मिश्रीदेवी की स्मृति में ‘मिश्रीदेवी भवन’ नामक विशाल एवं भव्य भवन सन् 2000 में निर्माण कराकर महाविद्यालय को समर्पित किया। इसी के साथ आपने एक ‘डाकघर भवन’ का निर्माण भी सन् 1996 ई0 में कराया। इस प्रकार समय-समय पर आप अपने दान से गुरुकुल की उन्नति में संलग्न रहते हैं।
वैद्य पं0 हरिशंकर जी शास्त्री
महाविद्यालय की शिक्षा के पश्चात आपने शास्त्री तथा काव्यतीर्थ परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। आयुर्वेद में आपकी विशेष रुचि थी।पीलीभीत आयुर्वेदिक कालिज से आपन आयुर्वेद की उच्चशिक्षा प्राप्त की। आयुर्वेद की शिक्षा एवं औषध-निर्माण व चिकित्सा के क्षेत्र में आपका
विशेष योगदान है। वैद्य हरिशंकर जी लगातार बीस वर्ष तक महाविद्यालय सभा के प्रधान रहे और आयुर्वेद-भाष्कर की मान्यता तथा भवन-निर्माण आदि अनेक कार्यों द्वारा महाविद्यालय की प्रगति में योगदान किया। आप पीयूषपाणि वैद्य कहे जाते थे। आपकी ख्याति दूर-दूर तक थी। मेरठ में आपका चिकित्सालय था ।